कुंडली के छठे घर से शत्रु रोग ऋण यह सब आपको पता है परंतु क्या आपको पता था कि छठे घर से आपके विदेश में रिसोर्सेज का पता लगाया जा सकता है यदि छठा घर बहुत अच्छा है तो अपने देश से अधिक आपका सर्कल विदेश में होगा और आपको विदेश से अधिक मदद मिलने की संभावना है इसके अलावा सरकारी नौकरी का भी विचार यहां से करते हैं।
कुंडली का छठा घर वैसे तो रोग ऋण और शत्रु के लिए जाना जाता है परंतु इस कड़ी में हम आपको बताएंगे कि ऐसी क्या रहस्यमई बातें हैं जो कुंडली के छठे घर से पता चलती हैं जिन्हें आपने ना कभी पढ़ा ना कभी सुना परंतु जो प्रामाणिक और विश्वसनीय हैं।
अभी तक आप यह जानते हैं कि शत्रु के लिए कुंडली के छठे घर का विचार किया जाता है यदि कुंडली के छठे घर में कोई ग्रह बहुत अधिक बलवान है तो भी अच्छा नहीं यदि कुंडली के छठे घर में कोई ग्रह बहुत अधिक निर्बल है वह भी अच्छा नहीं अर्थात कुंडली का छठा घर एक सही तालमेल में होना चाहिए। कुंडली के छठे घर का स्वामी यदि उच्च का है तो जातक के शत्रु भी उच्च कोटि के होंगे जिन से मुकाबला करने के लिए जातक को सामर्थ्य भी पूरी प्राप्त करनी होगी। यह प्रमुख बात यह है कि यदि कुंडली के छठे घर का स्वामी नीच राशि में है तो भी जातक के लिए अच्छा नहीं है। क्योंकि जब तक जीवन में कड़ी प्रतियोगिता नहीं होगी तब तक व्यक्ति कड़े अनुशासन में नहीं रह सकता और ना ही कोई विशेष उल्लेखनीय सफलता प्राप्त कर सकता है सचिन तेंदुलकर प्रमुख उदाहरण हैं उनकी कुंडली के छठे घर में ही उनको बनाया है। जितने खिलाड़ी उच्चतम स्थिति तक देखे गए हैं ऊंची पोजीशन पर देखे गए हैं उन सब की कुंडली के छठे घर को देखें तो आपको पता चलेगा कि एक व्यक्ति को आम से खास बनाने में छठे घर का कितना योगदान रहता है। एक तरह से देखा जाए तो कुंडली का छठा घर आपको पोटेंशियल देता है इसलिए यह ना समझा जाए कि कुंडली का छठा घर निर्बल होना चाहिए और ना ही कुंडली के छठे घर को बहुत अधिक बलवान समझ कर शुभ समझा जाए यानी कुंडली का छठा घर यदि बहुत अधिक बलवान है तो भी अच्छा नहीं है इसका सबसे बड़ा उदाहरण श्री राम चंद्र जी हैं जिनकी कुंडली के सभी ग्रह उसके थे।
अभी बात करते हैं कि कुंडली के छठे घर से यह पता लगाया जा सकता है कि जातक विभिन्न तरह के ऋण अपने जीवन काल में चुका पाएगा या नहीं। मातृ ऋण पितृ ऋण के अतिरिक्त पुत्र ऋण इत्यादि अनेक तरह के ऋण होते हैं कुंडली का छठा घर सही अनुपात में ना हो तो जातक अपने पीछे बहुत सारी जिम्मेदारियां छोड़ कर चला जाता है ऐसे लोग जो अपने बीवी बच्चों पर अनेक तरह की जिम्मेदारियां छोड़कर इस दुनिया से चले गए उनकी कुंडली का अध्ययन करके हमने देखा तो पाया कुंडली के छठे घर में आवश्यक ग्रह स्थिति की कमी थी।
अब बात करते हैं रोग की यदि कुंडली के छठे घर में नीच के ग्रह होंगे तो ऐसा नहीं है कि जातक निरोग रहेगा बल्कि जातक को जो बीमारियां होंगी वह असाध्य होंगी और लंबे समय तक जातक का पीछा नहीं छोड़ेंगे। अक्सर ऐसे जातकों को बीमारियां बुढ़ापे में या अधेड़ उम्र पार करने के पश्चात होती हैं।
कुछ जातकों की कुंडली का अध्ययन करके हमने पाया कि ऐसे जातकों को दूसरों के लिए हस्पताल के चक्कर अधिक लगाने पड़ते हैं जिनकी कुंडली का छठा घर कमजोर होता है। कुंडली का छठा घर यदि सही अनुपात में ना हो तो जातक को निरंतर रोक देता है एक रोग ठीक होने के पश्चात दूसरा और दूसरा रोग ठीक होने के पश्चात तीसरा रोग जातक को हो जाता है। जातक तभी निरोग नहीं रह पाता।
अब सूर्य आदि सभी ग्रहों के अनुसार कुंडली के छठे घर में स्थिति से क्या फल होता है यह जानते हैं।
सूर्य यदि कुंडली के छठे घर में विराजमान हो
तो जातक स्वस्थ रहता है और जातक की रोग ऋण शत्रु का आना-जाना जीवन में लगा रहता है। जातक को रोग ऋण और शत्रु से कोई खास चिंता करने की आवश्यकता नहीं है।
चंद्रमा यदि कुंडली के छठे घर में विराजमान हो
तो जातक को अपनी इम्यूनिटी पर ध्यान देना चाहिए जातक को बड़ी बीमारियां नहीं होती बल्कि छोटी-छोटी बीमारियां अधिकतम करती हैं। जातक की माता का स्वास्थ्य भी खराब रहता है। जातक को अनुवांशिक बीमारियां होने की संभावना अधिक रहती है।
मंगल यदि कुंडली के छठे घर में विराजमान हो
तो जातक की सभी प्रकार से रक्षा करता है जातक एक उच्च कोटि का खिलाड़ी होता है और फिटनेस पर जातक हमेशा काम करता रहता है।
बुध यदि कुंडली के छठे घर में विराजमान हो
तो जातक को शांत और स्किन से संबंधित बीमारियां होती हैं इसके अतिरिक्त जातक आंखों की बीमारियों या दांत की बीमारियों से पीड़ित रहता है मुंह में छाले और मुंह के अंदर की बीमारियां जातक को होने की संभावना अधिक रहती है।
गुरु यदि कुंडली के छठे घर में विराजमान हो
तो जातक को पेट से संबंधित बीमारियों का सामना करना पड़ता है जातक का पाचन तंत्र अच्छा नहीं होता या फिर कमजोर होता है इसके अतिरिक्त जातक बहुत अधिक मोटा या काफी पतला होता है।
शुक्र यदि कुंडली के छठे घर में विराजमान हो
तो जातक को शुगर या लो ब्लड प्रेशर की बीमारी रहती है जातक को जीवन में कई बार कॉस्मेटिक सर्जरी से भी गुजरना पड़ सकता है। यदि शुक्र खराब हो तो जातक के रूप को बिगाड़ देता है यानी एक जा तक पहले सुंदर दिखता था एकाएक उसकी सुंदरता कहीं खो जाती है और फिर वह कभी दोबारा उस रूप को प्राप्त नहीं कर पाता यदि ऐसा हो तो समझ लें कि शुक्र कुंडली में खराब है।
शनि यदि कुंडली के छठे घर में विराजमान हो
तो जातक को बीमारियां कम परहेज अधिक करने पड़ते हैं जातक का पूरा जीवन पर हेड में व्यतीत होता है बीमारियों का प्रकोप जातक को अधिक प्रभावित नहीं करता।
राहु कुंडली के छठे घर में विराजमान हो
तो जातक को मानसिक बीमारियां देता है इसके अतिरिक्त जातक को शारीरिक बीमारियों में कमी करता है तथा जातक को लंबी उम्र भी प्रदान करता है।
केतु यदि कुंडली के छठे घर में विराजमान हो
तो जातक को ऐसी बीमारियां होती हैं जिनका इलाज नहीं होता या फिर जिन्हें डिटेक्ट करना काफी कठिन होता है अक्सर ऐसा देखा जाता है कि बीमारी कुछ और है और इलाज किसी और चीज का हो रहा है फिर इसके साइड इफेक्ट से होने वाली शारीरिक व्याधियों उत्पन्न हो जाती हैं।
तो यह था कुंडली के छठे घर में विभिन्न ग्रहों का फल। यदि इस विषय पर आपको कोई प्रश्न करना है तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स का प्रयोग करें। हालांकि हमने जो कुंडली के छठे घर से संबंधित जानकारी दी है वह एक तरफा नहीं है विभिन्न ग्रहों के बल के कारण होने वाले परिवर्तन कुंडली के फल को आंशिक या पूर्ण रूप से बदल सकते हैं।
फिर भी यदि किसी को कोई विशेष समस्या है तो हमसे संपर्क कर सकते हैं।
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