यह केवल पुरुषों की ग्रह स्थिति के आधार पर कह रहा हूँ कि जब एक खास ग्रह स्थिति बनती है आपकी जीवन संगिनी आपके जीवन मे आती है। हमारा अनुभव कहता है कि कुछ लोगों के जीवन मे स्त्री सुख लिखा नहीं होता और किसी के जीवन मे देर से स्त्री सुख लिखा होता है। आइये जानते हैं यह सब क्यूँ होता है।
स्त्री और पुरुष ग्रह
स्त्री पुरुष एक दूसरे के लिए बने हैं ठीक उसी तरह ग्रहों मे भी स्त्री पुरुष ग्रह होते हैं। पुरुष ग्रहों मे सूर्य, मंगल, बृहस्पति और स्त्री ग्रहों मे शुक्र चंद्र होते हैं। बुध और शनि नपुंसक ग्रह माने गए हैं अर्थात ज्योतिष मे इन दो ग्रहों के लिंग का निर्धारण थोड़ा जटिल तरीके से होता है। राहू केतू को पुरुष ही माना गया है।
आपकी कुंडली मे इन नौ ग्रहों के अतिरिक्त बारह राशियाँ और सत्ताईस नक्षत्र भी होते हैं जिनमे स्त्री पुरुष तत्व भिन्न भिन्न है। उन सबका उल्लेख करना हमारे विषय को जटिल बना देगा इसलिए प्रमुख बात को ही कहता हूँ।
यदि आपकी कुंडली मे स्त्री तत्व वाले ग्रह और नक्षत्र राशियाँ अनुपात मे कम हैं तो आपके जीवन का निर्माण करने मे पुरुषों का योगदान अधिक रहेगा। यदि यह अनुपात काफी अंतर मे है तो फिर जीवन मे स्त्रियॉं का अभाव रहेगा। स्त्रियॉं से आपकी नहीं निभेगी या स्त्रियाँ आपके पास आना पसंद नहीं करेंगी।
फिर भी बहुत कम ये होता है कि कोई कुँवारा रह जाये। क्योंकि देर से ही क्यों न हो पर पुरुष ग्रहों का समय आपके जीवन मे आएगा और यही वह समय होगा जब आपके जीवन मे स्त्री का प्रवेश होगा।
कब आ रहा है पुरुष ग्रहों का समय
इसके लिए आपको अपनी कुंडली की विमशोत्तरी दशा सारणी देखनी होगी। यदि यह आपके लिए कठिन है तो हमसे संपर्क करें। हम न केवल आपको बताएँगे कि आपके जीवन मे स्त्री से मिलन कब लिखा है बल्कि आपको कुछ ऐसे उपाय भी बताएँगे जो आपकी कमी को दूर करें।
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